शिक्षा में ‘रूपांतर’ की अलख: पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रं. 1 में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का भव्य शुभारंभ
केन्द्रीय विद्यालय संगठन और टीम रूपांतर के संयुक्त तत्वावधान में पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 1, भोपाल में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (TGTs) हेतु दो दिवसीय इंप्लीमेंटेशन प्रोग्राम (CBL/AS/PI) का आज गरिमामय शुभारंभ हुआ। शिक्षा में नवाचार, गुणवत्ता और प्रभावी क्रियान्वयन को केंद्र में रखकर आयोजित यह कार्यशाला, शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी के शुभ संयोग पर प्रारंभ हुआ यह आयोजन स्वयं में आध्यात्मिक प्रेरणा का संदेश देता है। कार्यक्रम के मंच संचालक श्री अभिषेक तिवारी जी ने अपने प्रबुद्ध संचालन द्वारा गीता के संदेश और रूपांतर प्रशिक्षण कार्यक्रम की भावना के मध्य अद्भुत सामंजस्य स्थापित किया, जिससे उपस्थित शिक्षकों को एक नई ऊर्जा और चिंतन की दिशा प्राप्त हुई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य श्री गौरव कुमार द्विवेदी ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय विद्यालय संगठन, भोपाल संभाग की सहायक आयुक्त श्रीमती निर्मला बुडानिया जी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
शुभारंभ पारंपरिक सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसका मनोहारी प्रस्तुतिकरण श्रीमती ज्योति अग्रहरि द्वारा छात्रों के सहयोग से किया गया।
अपने प्रेरक उद्बोधन में श्रीमती निर्मला बुडानिया जी ने रूपांतर कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण शिक्षकों के व्यावसायिक विकास का सशक्त माध्यम सिद्ध होगा।भोपाल संभाग के विभिन्न केन्द्रीय विद्यालयों से आए 70 प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (बैच–8) ने इस कार्यशाला में सहभागिता की। प्रशिक्षण का नेतृत्व श्री कुणाल शर्मा और श्री संगीत शर्मा जैसे अनुभवी प्रशिक्षण प्रदाताओं ने किया।
यह संपूर्ण प्रशिक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों को विद्यालय स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करने हेतु शिक्षकों को सक्षम बनाने पर केंद्रित रहा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य श्री गौरव कुमार द्विवेदी ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि—“यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से भोपाल संभाग के केन्द्रीय विद्यालयों में शिक्षण की गुणवत्ता में सकारात्मक और दृष्टिगोचर परिवर्तन लाएगा।”
यह दो दिवसीय कार्यशाला 2 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगी, जिसके अंत में शिक्षकों द्वारा कक्षाओं में रूपांतर के क्रियान्वयन की दिशा और स्पष्ट होगी।




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